अमेरिकी पुस्तकों में हिंदुत्व को सही ढंग से प्रस्तुत किया जाए
वाशिंगटन, प्रेट्र। अमेरिकी संसद की प्रतिनिधि सभा के लिए पहली बार निर्वाचित होने वाली हिंदू सदस्य तुलसी गबार्ड ने कैलीफोर्निया के एजूकेशन बोर्ड को किताबों में हिंदुत्व की सही परिभाषा पेश करने के लिए कहा है। वहां की इतिहास और सामाजिक विज्ञान की पाठ्य पुस्तकों में हिंदुत्व को प्राचीन भारत का धर्म बताया जा रहा है, जो गलत है। भारतीयों के दो दर्जन संगठनों ने भी इस बाबत एजूकेशन बोर्ड को पत्र लिखे हैं।
हवाई का प्रतिनिधित्व करने वाली डेमोक्रेटिक पार्टी की सांसद तुलसी ने संबंधित मामले की सुनवाई के बाद बोर्ड को लिखे पत्र में कहा है, हिंदू धर्म बदला या खत्म नहीं हुआ है। प्राचीन भारत के हिंदुत्व और वर्तमान हिंदुत्व में जो अंतर आया है, वह सिर्फ सामयिक कारणों से है। इसलिए पुस्तकों में शुरुआती (पूर्व) हिंदुत्व काल जैसे शब्दों का इस्तेमाल न किया जाए। इससे छात्रों और शिक्षकों में भ्रम की स्थिति पैदा हो रही है।
हिंदू धर्म भी उसी तरह प्रवाह रूप में विकसित हुआ है, जिस तरह ईसाई, यहूदी, इस्लाम और बौद्ध विकसित हुए। यह सिलसिला अभी जारी है। तुलसी गबार्ड ने बोर्ड से यह अनुरोध भी किया है कि वह हिंदू धर्म में प्राचीन समय से ही व्याप्त महिलाओं के सम्मान के तथ्य को सही और सकारात्मक रूप में प्रस्तुत करे। यह प्राचीन सभ्यताओं में महिलाओं के महत्व का अनुपम उदाहरण होगा। हिंदू धर्म में महिलाओं को प्राचीन समय से ही व्यापक अधिकार दिए गए हैं। वेदों में इसका वर्णन है।
गबार्ड ने बोर्ड से हिंदू धर्म की जाति व्यवस्था को भी सही तरीके से परिभाषित करने का अनुरोध किया है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार वह तात्कालिक सामाजिक व्यवस्था थी, जिसमें व्यक्ति के लिए यथायोग्य कर्म निर्धारित किया गया था। बाद के समय में इसे गलत तरीके से समझा गया और प्रस्तुत किया गया।