Published On: Tue, Jul 5th, 2016

अद्भुत है पुरी का श्रीजगन्नाथ मंदिर

पुरी का श्रीजगन्नाथ मंदिर दुनियाभर में प्रसिद्ध है। मं‍दिर का आर्किटेक्ट इतना भव्य है कि दूर-दूर से वास्तु विशेषज्ञ इस पर रिसर्च करने आते हैं। कलिंग शैली के मंदिर स्थापत्यकला और शिल्प के अद्भुत प्रयोग से परिपूर्ण यह मंदिर भारत के भव्यतम स्मारकों में से एक है।

मंदिर का क्षेत्रफल चार लाख वर्ग फिट में है। मंदिर की ऊंचाई 214 फिट है। महाराजा रणजीत सिंह ने इस मंदिर को प्रचुर मात्रा में स्वर्ण दान किया था, जो कि उनके द्वारा स्वर्ण मंदिर अमृतसर को दिए गए स्वर्ण से कहीं अधिक था। उन्होंने अपने अंतिम दिनों में यह वसीयत भी की थी कि कोहिनूर हीरा इस मंदिर को दान कर दिया जाए, लेकिन यह संभव न हो सका।

श्री जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ की पूजा उनके भाई बलभद्र तथा बहन सुभद्रा के साथ होती है। इन मूर्तियों के चरण नहीं हैं। सिर्फ भगवान जगन्नाथ और बलभद्र के हाथ हैं, लेकिन उनमें कलाई तथा ऊंगलियां नहीं हैं। ये मूर्तियां नीम की लकड़ी की बनी हैं तथा इन्हें प्रत्येक 12 वर्ष में बदल दिया जाता है।

जगन्नाथपुरी मंदिर और रथयात्रा का मुख्य आकर्षण महाप्रसाद भी है। यह महाप्रसाद मंदिर स्थित रसोई में बनाया जाता है। इस प्रसाद में दाल-चावल के साथ कई अन्य चीजें होती हैं। मंदिर की रसोई में महाप्रसाद को पकाने के लिए सात बर्तनों को एक दूसरे पर रखा जाता है और लकड़ी से पकाया जाता है। इस प्रक्रिया में शीर्ष बर्तन में सामग्री पहले पकती है फिर नीचे की तरफ एक के बाद एक पकती जाती है। प्रसाद की जरा सी भी मात्रा कभी भी व्यर्थ नहीं जाती है, चाहे कुछ हजार लोग हों या लाखों। प्रसाद सभी को मिलता है।

मंदिर का रसोईघर दुनिया का सबसे बड़ा रसोईघर है। इस मंदिर से कई अद्भुत तथ्य भी जुड़े हुए हैं। मंदिर के ऊपर लगा झंडा हमेशा हवा के विपरीत दिशा में लहराते हुए दिखेगा। पुरी में किसी भी जगह से आप मंदिर के ऊपर लगे सुदर्शन चक्र को देखेंगे तो यह आपको सामने ही नजर आएगा। कभी भी किसी पक्षी या विमान को मंदिर के ऊपर उड़ते हुए नहीं पाएंगे।

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