Published On: Fri, Jul 22nd, 2016

बनेगा गंगा एक्ट, पंडित मदन मोहन मालवीय के पोते करेंगे ड्राफ्ट कमेटी की अगुवाई

गंगा की पावन धारा को बचाने के लिए कानून का मसौदा तैयार करने के लिए बनाई गई कमेटी की अगुवाई रिटायर्ड जस्टिस गिरधर मालवीय करेंगे. गंगा की अविरल धारा के लिए अपने आंदोलन से अंग्रेजों को मजबूर करने वाले पंडित मदन मोहन मालवीय के पोते जस्टिस गिरधर मालवीय की कमेटी तीन महीने में गंगा संरक्षण कानून का मसौदा केंद्र सरकार को सौंपेंगे. वैसे प्रावधान ये भी है कि जरूरत पड़ने पर कमेटी का कार्यकाल तीन महीने और बढ़ाया जा सकेगा.

जल संसाधन और गंगा कायाकल्प मंत्रालय की ओर से बनाई गई इस कमेटी के अन्य सदस्य हैं पूर्व सचिव वी. के. भसीन, आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर एके गोसाईं, आईआईटी रुड़की के प्रोफेसर नयन शर्मा और नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा के निदेशक संदीप इस कमेटी के सदस्य सचिव होंगे.

गंगा महासभा के चेयरमैन भी हैं जस्टिस मालवीय

उम्र के अस्सीवें साल में चल रहे जस्टिस मालवीय फिलहाल गंगा महासभा के चेयरमैन भी हैं और गंगा संरक्षण आंदोलन की अगुवाई भी करेंगे. गंगा महासभा की स्थापना करने वालों में जस्टिस मालवीय के दादा पंडित मदन मोहन मालवीय भी शामिल थे.

गंगा के मूल स्वरूप को बरकरार रखते हुए बनेगा मसौदा

कमिटी से कहा गया है कि गंगा के मूल स्वरूप और बायो डाइवर्सिटी को बरकरार रखते हुए गंगा को संरक्षित रखने, इसे प्रदूषित करने वालों को दंडित करने और गंगा के अविरल प्रवाह को बरकरार रखने के उपायों के बाबत कानून का मसौदा तैयार किया जाएं. कमिटी गंगा की अविरलता और पवित्रता बरकरार रखने के लिए सांस्कृतिक, तकनीकी और व्यावहारिक पक्षों को ध्यान में रखकर ड्राफ्ट तैयार करेगी. ताकि लोगों की गंगा की अविरलता के साथ ही पौराणिक महत्व और जन भावनाओं, सभी को सलामत रखा जा सके.

नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत गंगा सफाई कार्यक्रम हो चुका है शुरू

नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत गंगा किनारे के 400 गांवों, कस्बों और शहरों में गंगा सफाई कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए केंद्रीय जल संसाधन और गंगा कायाकल्प मंत्री उमा भारती ने 4 जुलाई को इस एक्ट की रूपरेखा पर चर्चा की थी. इस बाबत कमिटी बनाने के बारे में भी कहा गया था. अब उसे कार्यरूप दिया गया है. नेशनल गंगा रिवर बेसिन ऑथोरिटी की छठी बैठक में उमा भारती ने कहा कि जिन पांच राज्यों से होकर गंगा बहती है उन राज्यों ने भी ऐसा एक कानून बनाने पर सहमति जता दी है. क्योंकि नदी संरक्षण राज्यों की अधिकार सूची के तहत भी आता है लिहाजा सबकी भागीदारी और सहमति जरूरी है.