सावन के चारों सोमवार को मथुरा आते हैं महादेव
मथुरा। आज सावन का पहला सोमवार है। कान्हा की नगरी मथुरा शिवमयी हो गयी है। मथुरा स्थित गर्तेश्वर महादेव मन्दिर की बहुत मान्यता है। यह शिव मन्दिर कृष्णकालीन बताया जाता है। ऐसे ही समय-समय पर भगवान शंकर ने विभिन्न रूप धारण कर अपने प्रिय आराध्य की लीलाओं का दिग्दर्शन किया।
गर्तेश्वर महादेव के मंदिर में उमड़े श्रद्धालु
श्री कृष्ण की लीला स्थली मथुरा मे सावन के सोमवार पर धूम मची हुई है। ब्रज में होली, सावन,और जन्माष्टमी बड़े ही भक्तिमय वातावरण में मनाया जाती है। इसी क्रम में मथुरा के शिव मंदिरों में सावन के सोमवार को भक्तों का सैलाब देखने को मिला। सभी शिव मन्दिरों में भक्तों की अपार श्रद्धा और भीड़ देखी गयी। लोग भगवान शिव और पार्वती को बेल पत्र और दूध से स्नान करा रहे थे। पौराणिक मान्यता है कि भगवान शिव सावन के इन चार सोमवार को स्वयं मथुरा आये थे और यहाँ के वासियों ने उन्हें दूध से स्नान कर बेल पत्र चढ़ाए थे। यह क्रम आज भी जारी है।
धरती से प्रकट हुए हैं गर्तेश्वर
मंदिर के पुजारी बाल कृष्ण शर्मा ने बताया की यह महादेव गर्त यानी मिट्टी से प्रकट हुए हैं। इस शिवलिंग की कोई थाह नहीं है कि धरती में कितनी गहराई तक है। भगवान शिव ने समस्त पृथ्वी वासियों को ये वरदान दिया था कि सावन के सोमवार में जो भी व्यक्ति उनकी पूजा अर्चना करेगा, उसे मुंह माँगा वरदान मिलेगा। सावन में सुहागिनों द्वारा भगवान शिव की पूजा करने से सुहाग सलामत रहता है। कुंआरी कन्याओं के पूजा करने से अच्छा और मनचाहा वर मिलता है। जो भी सच्चे मन से भगवान शिव की आराधना करता है, उसके यश, व्यापार में उन्नति होती है। घर में सुख शांति बनी रहती है।
कुंआरी कन्याओं को मनचाहा वर मिलता है
अनु शर्मा ने बताया की गर्तेश्वर महादेव की पूजा करने और जल के साथ शरबत चढ़ाने से मनोकामना पूरी होती है और मनचाहा वर मिल जाता है।
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