Published On: Fri, Jul 8th, 2016

चमत्कार!! शिव जी का यह मंदिर रात को समुद्र में डूब जाता है, और सूरज उगते ही भक्तों के दर्शन के लिए ऊपर आ जाता है

भगवान शिव समय-समय पर इस कलयुग में अपने चमत्कार दिखाते रहते हैं, जिससे भक्तों का भगवान पर भरोसा बना रहे। ऐसी ही एक कथा प्रचलित है, जिसके अनुसार शिव जी के पुत्र कार्तिकेय ने ताड़कासुर का वध कर दिया। ताड़कासुर एक ऐसा राक्षस था, जिसने आम लोगों को परेशान कर रखा थाताड़कासुर का वध कर दिया। जिसकी वजह से देवताओं के सेनापति कार्तिकेय स्वामी को उनका वध करना पड़ा।  पर वध करने के बाद स्वामी को पता चला कि वह भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त है।

इसलिए व्यथित कार्तिकेय स्वामी ने प्रभु विष्णु से व्यथा का हल पुछा, जिसके हल के रूप में विष्णु जी ने वधस्थल पर शिवालय बनाने की आज्ञा दी, विष्णू जी ने कहा कि इससे ताड़कासुर के मन को शांति मिलेगी। इसके बाद कार्तिकेय स्वामी ने ऐसा ही किया। सभी देवगणों ने मिलकर महिसागर संगम तीर्थ पर विश्वनंदक स्तंभ की स्थापना की, जिसके बाद इसके पश्चिम भाग में स्थापित स्तंभ में भगवान शंकर स्वयं विराजमान हुए। तब से इस मंदिर का नाम स्तंभेश्वर पड़ गया।

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इस मंदिर में भगवान शिव का वास है, इसलिए खुद समुद्र देव भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। समुद्र के किनारे बसा यह मंदिर हमेशा ज्वार के समय पूरी तरह से जलमग्न हो जाता है और भाटे के समय यह मंदिर फिर से दिखाई देने लगता है। यह परंपरा सदियों से सतत चली आ रही है। यहां स्थित शिवलिंग का आकार 4 फुट ऊंचा और दो फुट के घेरे वाला है, जिसके दर्शन के लिए महाशिवरात्रि और हर अमावस्या पर मेला लगता है। जहाँ दूर-दूर से श्रद्धालु दरिया द्वारा शिवशंभु के जलाभिषेक का अलौकिक दृश्य देखने यहाँ आते हैं।

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