Published On: Thu, Jul 21st, 2016

बाबाधाम चल पड़े कांवड़िया, गंगा स्नान के बाद ‘महिला बम’ ने ली सेल्फी

पटना [वेब डेस्क]। श्रावणी मेला मंगलवार से शुरू हो गया। भागलपुर के सुल्तानगंज में गंगा घाटों पर श्रद्धालु पहुंचे और गंगा का पवित्र जल लेकर देवघर, बाबा वेैद्यनाथ के जलाभिषेक के लिए रवाना हुए। बड़ी संख्या में महिला कांवरियों ने भी गंगा में डुबकी लगाई और गंगाजल लेकर बाबा के धाम रवाना हुईं।

महिला कांवरियों ने इस मौके पर अपनी सेल्फी ली और दोस्तों से तस्वीरें साझा कीं। बोल बम के नारों से पूरा सुल्तानगंज गुंजायमान हो रहा है। बच्चे-बड़े, पुरूष-महिलाएं सभी गंगाजल लेकर बाबा की नगरी जा रहे हैं। केसरिया परिधानों से पूरा रास्ता पटा हुआ है।

मंगलवार को 50 हजार से अधिक कांवरियों ने जल उठाया था। बुधवार के दिन भी श्रद्धालुओं ने जल भरा और देवघर रवाना हुए। इस बार डाकबम कांवरियों की भी काफी संख्या देखी जा रही है।

बिहार के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री डॉ. मदन मोहन झा, नगर विकास मंत्री महेश्वर हजारी व पीएचईडी मंत्री कृष्ण नंदन प्रसाद वर्मा मेले का उद्घाटन किया।राजस्व मंत्री ने कहा कि श्रावणी मेला को राष्ट्रीय मेला का दर्जा दिलाने के लिए कैबिनेट में प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजा जाएगा। अभी लोकसभा का सत्र भी चल रहा है, इसलिए इसी सत्र में इस मामले को भेजने का प्रयास करेंगे।

श्रद्धालुओं के लिए शुरू किया मोबाइल ऐप

एक महीने तक चलने वाले इस मेले में श्रद्धालुओं को कोई दिक्कत न हो, इसके लिए मोबाइल एेप बोलबम 2016 डॉटकॉम का भी शुभारंभ किया गया है। इस एेप के जरिए कांवरिया मेला के रास्ते का पता कर सकेंगे और किसी तरह की शिकायत भी दर्ज करा सकेंगे।

मंत्री ने बताया कि मेला में कांवरियों को किसी तरह की दिक्कत नहीं होगी। पैसे की कमी नहीं है। मंत्री ने अफसर्स से कहा है कि जो भी जरूरत की चीजें है, उसकी आपूर्ति की जाएगी। अन्य वर्षों की तुलना में इस बार बम को अधिक सुविधा दी जा रही है।

गड़बड़ी दिखे तो मंत्री को करें व्हाट्स एेप

लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण मंत्री कृष्ण नंदन प्रसाद वर्मा ने कहा कि कांवरियों को ठंडा व गर्म हर तरह का पानी दिया जा रहा है। यदि कोई गड़बड़ी है तो उन्हें 9431271328 पर व्हाट्स ऐप करें। गड़बड़ी का फोटो भी भेंजें।

अधिकारी कह देते हैं कि यह काम हो गया है लेकिन सच का पता तो कांवरियों से ही लगेगा। जहां तक झारखंड में अधिक सुविधा देने की बात है तो हमलोग पहले ही इतना काम कर चुके हैं कि उसकी जरूरत ही नहीं है।

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