Published On: Thu, Jul 28th, 2016

LGBT पर बेस्ड’Ka Bodyscapes’ हिंदू धर्म का मजाक उड़ाती है: सेंसर बोर्ड

मुंबई। कुछ फिल्मकार जानबूझकर विवाद खड़ा करते हैं। उन्हीं में से एक हैं न्यूयॉर्क बेस्ड मलयाली फिल्ममेकर जयन चेरियन। वो इन दिनों अपनी नई फिल्म’का बॉडीस्केप्स’को लेकर चर्चा में है। इससे पहले वो ‘पपिलिओ बुद्धा’ बनाई थी, जिस पर भी काफी विवाद खड़ा हुआ था। हम आपको बता दें कि सेंसर बोर्ड ने उनकी नई फिल्म को सर्टिफिकेट देने से साफ इंकार कर दिया है। सेंसर बोर्ड का कहना है कि फिल्म में हिंदू धर्म का ‘मजाक ‘बनाया गया है। यह फिल्म एलजीबीटीक्यू (गे, लेज्बियन,बाइसेक्शुअल,ट्रांसजेंडर,क्वीयर) समुदाय और महिलाओं से जुड़े संवेदनशील मुद्दे पर आधारित है।
ज्ञातव्य है कि केरल में सेंसर बोर्ड की रीजनल ऑफिसर प्रतिभा ने इस सिलसिले में कारण सहित बयान जारी किया है। उन्होंने कहा कि फिल्म में न सिर्फ ‘अश्लीलता’ है, बल्कि इसमें हिंदू धर्म का ‘मजाक’ बनाया गया है। चेरियन की फिल्म ‘पपिलिओ बुद्धा’ भी सेंसर बोर्ड को रास नहीं आई थी। सर्टिफिकेट देने से इनकार करने के बारे में फिल्ममेकर को एक पत्र भेजा गया है।
पत्र में लिखा गया है,’ फिल्म का पूरी विषय वस्तु ही हिंदू धर्म के लिए अपमानजनक है। इसमें हिंदू धर्म का मजाक उड़ाया गया है, खासतौर से हिंदू देवताओं को गलत तरीके से दर्शया गया है। फिल्म में हिंदुओं के देवता हनुमान को सेक्शुअलिटी पर आधारित किताबें ले जाते दिखाया गया है, जिसमें एक किताब का टाइटल है- आई ऐम गे। फिल्म में अश्लीलता के जरिए मानवीय संवेदनशीलता को चोट पहुंचाई गई है।’
पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि फिल्म में एक महिला को मैस्टरबेट करते हुए दिखाया है और कई गे पोस्टरों का इस्तेमाल किया गया है। हालांकि चेरियन ने सेंसर बोर्ड के आरोपों सिरे से खारिज करते हुए कहा कि फिल्म में एक जगह हनुमान आईपीसी के सेक्शन 377 (समलैंगिकता को अपराध ठहराने वाली धारा) के खिलाफ किताबें ले जाते हुए दिखाया गया है। चेरियन का कहना है कि सेक्शन 377 अंग्रेजों के जमाने का कानून है, जो दो वयस्कों के बीच आपसी सहमति से बनी समलैंगिक सम्बन्धों को अपराध ठहराता है।
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‘का बॉडीस्केप्स’ केरल की पृष्ठभूमि में बनी फिल्म हैं, जिसमें होमोफोबिया और महिलाओं के प्रति नफरत जैसे मुद्दों को दिखाया गया है। फिल्म में तीन युवा किरदार हैं- हैरिस (गे पेन्टर), विष्णु (गांव का कबड्डी खिलाड़ी) और सिया (ऐक्टिविस्ट)। ये तीनों समाज की घिसी-पिटी लीक पर चलने से इनकार कर देते हैं और आजादी में खुशी तलाशते हैं। फिल्म का ट्रेला देखने के बाद ही आपको अंदाजा हो जाएगा कि फिल्म कितनी बोल्ड और विवादित है। टीजर में हनुमानजी का सीन है। क्या आप इस तरह की फिल्म की पैरवी करते हैं?

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