Published On: Thu, Jul 21st, 2016

भगवान शंकर को समर्पित सावन मास का प्रारंभ, शिवालयों में उमड़े श्रद्धालु | Zee News Hindi

नई दिल्‍ली : भगवान शंकर को समर्पित सावन मास का शुभारंभ हो चुका है। देवाधिदेव महादेव को प्रिय सावन के पवित्र महीने की शुरुआत बुधवार से हो गई। सावन महीने के पहले दिन देश भर के मंदिरों और शिवालयों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। आज से ही कांवड़ यात्रा की भी शुरुआत हो गई है।

पुराणों में इस महीने में भगवान शिव की आराधना का खास महत्व बताया गया है। शिवभक्त भोलेनाथ को दूध, भांग, धतूरा और बेलपत्र चढ़ाते हैं। इस बार सावन मास की शुरुआत 20 जुलाई से हुई, जो 18 अगस्त तक रक्षाबंधन के दिन समाप्त होगी। इस बार सावन में ग्रहों का भी विशिष्ट संयोग बन रहा है। प्रत्येक सोमवार को विशिष्ट योग बन रहे हैं, जिसे लोगों के लिए लाभकारी माना जा रहा है। सावन मास को लेकर भक्तों के अलावा मंदिरों में भी तैयारी शुरू हो चुकी है। श्रावण माह का पहला सोमवार 25 जुलाई को है। भगवान शिव की आराधना का महीना शुरू होने के साथ ही शिवालयों में पूजा-अर्चना के लिए शिवभक्‍त उमड़ने लगे हैं।

भगवान भोले शंकर को प्रसन्न करने के लिए श्रावण मास सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। श्रावण मास की शुरुआत 20 जुलाई से हुई और इसका समापन श्रावण शुक्ल पूर्णिमा यानि रक्षाबंधन पर्व तक होगा। ज्‍योतिषाचार्यों के अनुसार, इस बार सावन महीने में बड़ा शुभ योग बन रहा है। श्रावण माह पूरी तरह से शिव को समर्पित महीना है। वहीं इस महीने में सोमवार के दिन का बड़ा ही महत्‍व है। इस बार सावन माह में चार सोमवार हैं। सोमवार को बाबा भोलेनाथ का दुग्धाभिषेक व उस दिन व्रत रखने तथा श्रद्धा भाव से पूजन अर्चन करने वाले आस्‍थावानों की मनोकामनाएं भगवान शिव पूरी करते हैं ऐसा शास्‍त्रों में भी उल्‍लेखित है।

भगवान को सावन महीना बेहद प्रिय है। ऐसी मान्यता है कि इस महीने में खासकर सोमवार के दिन व्रत-उपवास और पूजा-पाठ, रुद्राभिषेक आदि किए जाते हैं। जिससे भक्‍तों को खासा लाभ होता है। इस माह में भोलेनाथ को भांग, बेल पत्र और दूध चढ़ाने से मनवांक्षित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही गरीबों को दान देने से पुण्‍य फल मिलता है। हालांकि महादेव चूंकि बड़े ही भोले माने जाते हैं इसलिए मात्र सच्‍चे मन से शिवलिंग पर जल चढ़ाकर उन्‍हें रिझाया जा सकता है। ऐसा शास्त्रों में भी उल्लेखित है।

भगवान के अभिषेक में महादेव को जल, दूध, दही, घी, शक्कर, शहद, गंगाजल, गन्ना रस आदि से स्नान कराया जाता है। अभिषेक के बाद बेलपत्र, समी पत्र, दूब, कुश, कमल, नीलकमल, ऑक मदार, जंवाफूल कनेर, राई फूल आदि से शिवजी को प्रसन्न किया जाता है। साथ ही, भोग के रूप में धतूरा, भांग और श्रीफल भोले भंडारी को चढ़ाया। द्वादश ज्योर्तिलिंग में झारखंड के देवघर स्थित बाबा वैद्यनाथ धाम के शिव मंदिर की महिमा सर्वाधिक है। सावन महीने में यहां प्रतिदिन करीब एक लाख शिवभक्त मनोकामना शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं। सावन के इस पहले सोमवार के दिन देवघर में शिवभक्‍त उमड़ पड़े। हरिद्वार में भी श्रद्धालुओं ने गंगाजल से शिवलिंग का जलाभिषेक किया।

हिंदू धर्म में सावन माह काफी पवित्र माना जाता है और इसका धार्मिक महत्व काफी ज्यादा है। 12 महीनों में से सावन माह विशेष पहचान रखता है। इसमें व्रत, दान व पूजा-पाठ करना अति उत्तम माना जाता है। सावन मास को मासोत्तम मास कहा जाता है। श्रावण नक्षत्र तथा सोमवार से भगवान शंकर का गहरा संबंध है। श्रावण मास को भगवान शिवजी के साथ जोड़कर देखा जाता है। इस समय शिव आराधना का विशेष महत्व है। यह माह आशाओं की पूर्ति का समय होता है। श्रावण में शिवभक्तों के लिए भगवान शिव का दर्शन एवं जलाभिषेक करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है। इस बार पहले सोमवार में ही अमृत योग आ रहा है और इस दिन शिवपूजन का विशेष महत्व है।

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