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पाकिस्तान के हिंदू: वो लोग जिनकी जान की कोई कीमत नहीं

पाकिस्तान में कच्ची उम्र की हिंदू लड़के लड़कियाँ आए दिन सरेआम उठाए जा रहे हैं और उनका धर्म परिवर्तन ज़ोरों से चल रहा है| पाकिस्तानी मीडिया इन कुकार्मों को छुपाने में लगा हैं और भारत का मीडीया अमन की आशा अलापने में लगा है |

कभी मंदिर तोड़े जा रहे हैं, कभी हिंदुओं को देश से खदेड़ा जा रहा है या कभी इनको ज़बदस्ती इस्लामियत की तालीम दी जा रही है| और ये सब भारत जैसे क्षेत्रीय शक्ति की बगल में हो रहा है और सब चुप हैं| पाकिस्तान की लगी आग भारत में भी फैल सकती है और जब पड़ोस में ऐसा भीषण उत्पात चल रहा हो, तब भी कोई पोज़िशन ना लेना एक बेहद ख़तरनाक कदम साबित हो सकता है| अमरीका और बाकी देश आए दिन पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों के लिए बोलते हैं, लेकिन भारत की सरकारें हमेशा चुप्पी साधे रखती हैं| इससे नुकसान ना केवल भारत की प्रतिष्ठा को पहुँच रहा है बल्कि हिंदू समाज भी अपने आप को असहाय समझने लगा है|

सबसे बुरी बात तो ये है की हिंदू धर्म के उपर जो लोग राजनीति की दुकाने चलते हैं, उनके मुँह में जैसे पाकिस्तान से विस्थापित हिंदुओं के लिए समय है ही नहीं| ना कोई चिंतन, ना कोई चिंता, और ना ही उनकी सहायता के  प्रयास ही किया जाता है हिंदू संगठनों के द्वारा|

क्या पाकिस्तान का हिंदू मानवाधिकार पाने का अधिकारी नहीं है? क्या पाकिस्तान का हिंदू सम्मान से जीने का अधिकारी नहीं है? क्यूँ पाकिस्तान का हिंदू अकेले घुट घुट कर जीने पर मजबूर कर दिया गया है? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब जानने बेहद ज़रूरी हैं|

पाकिस्तान का हिंदू जो ये सोच कर भारत आता है की वो यहाँ अपना धर्म बचाकर आया है, यहाँ आकर अपने को अकेला पता है| ये सही है की इनकी मदद और सहारा देने का कार्य कई भारतीय अपने निजी तौर पर करते हैं, पर कुछ मुद्दे ऐसे होते हैं जिसमें सरकार की पहल अति आवश्यक होती है|

कई लोग कहते हैं की पाकिस्तान के मुद्दे पर बोलकर हम उसको अपने मुद्दों पर बोलने की खुली छूट दे देंगे| पर पाकिस्तान तो हमेशा से ही भारत के मसलों पर टाँग अड़ाता रहा है! तो इसका मतलब ये है की चुप्पी तो काम नहीं करेगी| अब बोलने का समय है और कार्यवाही करने का भी| पाकिस्तानी हिंदू को आवाज़ देने में ना केवल मानवता का बल्कि भारत का अपना राजनीतिक स्वार्थ भी है|

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