वाराणसी: गुरु ब्रह्मा, गुरु र्विष्णु: गुरु देवो माहेश्वर: ! गुरु साक्षात् परब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नम: !! धर्म और आध्यात्म की नगरी काशी में गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व धूम-धाम से मनाया जा रहा है.
गुरु गोविन्द दोउ खड़े, काके लागू पाव! बलिहारी गुरु आपणे, गोविन्द दियो बताये!! आज गुरु पूर्णिमा है. गुरु और शिष्य की परंपरा के निर्वहन का पावन दिन. जिसे आस्था की नगरी काशी यानी वाराणसी में भी आज काफी हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है.
आपको बता दें कि आदि अनंत काल से गुरु शिष्य की परंपरा ही हमारे विकास की धरोहर रही है.
धार्मिक नगरी काशी में इस पावन अवसर पर शिष्यों ने अपने अपने गुरु के चरणों में शीश नवा कर आशीर्वाद माँगा.
इस खास अवसर पर मठ, मंदिरों, आश्रम, गुरुकुल, पाठशाला, शिक्षण संस्थाओं में गुरु से मिलने के लिए शिष्यों की लंबी-लंबी कतारें देखी गईं.
सभी शिष्य गुरु पूर्णिमा के मौके पर गुरु के दरबार में अपने हाजिरी लगा लेना चाहते थे. अपनी श्रद्धा और आस्था के अनुरूप पुष्प और दक्षिणा के साथ शिष्य गुरु की सेवा में उपस्थित हुआ.
गुरुजनों ने भी पहले भगवान का स्मरण करने के बाद ही अपने आसन को ग्रहण किया और अपने शिष्यों को स्नेह आशीष दिया.
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