कानपुर। श्रावणमास के पहले सुखिया सोमवार पर शहर के विभिन्न शिवालयों में शिवभक्तों की भीड़ उमड़ी। अलसुबह शिवभक्तों का शिवालय पहुंचने का सिलसिला शुरू हुआ, जो जारी है। शिवभक्तों ने शिवलिंग का अभिषेक कर बिल्व पत्र चढ़ाकर पूजा अर्चना कर आरती की। शिवालयों में खीर का प्रसाद वितरित किया गया। परमठ मंदिर, आन्देश्वर सिद्वेश्वर, जागेश्वर, खेरेश्वर, बंकटेश्वर शिव मंदिर में सुबह से ही भक्तों की लम्बी लम्बी कतारें लगी थीं।
परमठ के सिद्वश्वर मंदिर सहित अन्य शिवालयों में सुबह से ही शिव भक्तों का तांता लगा रहा। इस दौरान मंदिर में आकर्षक सजावट भी की गई। शिव मंदिरों में भोले बाबा के जयकारे गूंजते रहे। मंदिरों में शिव महिम्न स्रोत पाठ, शिव स्तुति, ध्यानम, चंद्रशेखर पाठ और गंगाधर आरती की गई। मंदिर पर बिल्व पत्रों से महारुद्राभिषेक धार्मिक अनुष्ठान किए गए। महामृत्युंजय मंदिर में विशेष अभिषेक आन्देश्वर मंदिर में विशेष पूजा के साथ दर्शनों का सिलसिला चल रहा है। इसके अलावा सिद्वश्वर मंदिर में भी बाबा का श्रृंगार किया गया। शिवालयों में शिवभक्तों की खासी भीड़ रही। मंदिरों में बड़ी संख्या में भक्तों की कतारें लगी रहीं।
40 साल से लगातार दर्शन के लिए आते हैं गुप्ता दंपत्ति
फतेहपुर के बिन्द की तहसील कारोबारी विवेक गुप्ता पत्नी सहित आन्देश्वर मंदिर में सावन माह में लगातार 40 साल से दर्शन के लिए आते हैं। विवेक ने बताया कि, जब इनकी उम्र महज 10 साल की थी तो पिता जी पहली बार परमठ स्थित आन्देश्वर मंदिर लेकर आए। इसके बाद जो सिलसिला शुरु हुआ वह बदस्तूर जारी है। बताया, भोले के दर्शन मात्र से उनकी सारी परेशानियां अपने आप खत्म हो जाती हैं। विवेक के मुताबिक भगवान सिद्वेश्वर के आर्शीवाद से मेरे पिता को शादी के 25 साल पुत्र रत्न की प्रप्ति हुई थी। बताया, जब मेरा जन्म हुआ तो पिता जी मुझे लेकर सबसे पहले आन्देश्वर लेकर आए। शादी के बाद पिता के साथ हम अपनी पत्नी के साथ आए। विवेक के मुताबिक पिता जी बीमार पढ़ गए, डॉक्टरों ने जवाब दे दिया। पिता जी ने अंतिम इच्छा आन्देश्वर के दर्शन के लिए कही। हम लेकर आए और दर्शन के बाद वह इस दुनिया से चले गए।
यहां साक्षात दर्शन देते हैं आन्देश्वर प्रभु
इतिहास के पन्नों में कानपुर का नाम सुनहरे अक्षरों में आता है। लेकिन यहां पर बने मन्दिर, तीर्थस्थलों की और भी मान्यताएं है। ऐसा ही कानपुर शहर में बीचों बीच बना परमट का आनन्देश्वर मन्दिर। ऐसी मान्यता है कि, यहां स्वयं भगवान शंकर सावन के हर सोमवार को भक्तों को दर्शन देते हैं। उनके एकमात्र दर्शन से सारे क्लेश व द्वेश पल भर में ही समाप्त हो जाते हैं। यहां पर दर्शन करने के लिए शहर तो शहर विदेशों से भी लोग आते हैं।
भक्तों के लिए 24 घंटे सावन भर मन्दिर का पट खुला रहता है। मन्दिर में भीड़ को देखकर जिला व पुलिस प्रशासन ने भी पुख्ता इंतजाम किया है। स्थित आन्देश्वर मन्दिर कई एकड़ में बना हुआ है। गंगा के किनारे स्थापित यहां मन्दिर का दृश्य बहुत ही सुहाना और मनभावक है। भगवान शिव के दर्शन करने के लिए सुबह चार बजे से भक्तों की भीड़ जुटने लगी। मन्दिर के महंत बताते है कि, यहां पर स्वयं भगवान भोलेनाथ विराजमान हैं। सावन के प्रत्येक सोमवार को वह साक्षात भक्तों को दर्शन देते हैं।
कर्ण आन्देश्वर में पूजा करने के लिए आते थे
महाभारत के इतिहास से जुड़ा परमट मन्दिर मन्दिर के महंत रमेशपुरी ने बताया कि, यह परमट मन्दिर महाभारत के इतिहास से जाना जाता है। उस काल में गंगा के किनारे दानवीर कर्ण पूजा करने आते थे। पूजा करने के दौरान एक गाय
आती थी, जहां कर्ण पूजा करते थे वहीं वह गाय अपना थन का दूध रिसाव कर देती थी। गाय के दूध ऐसे गिराने पर मालिक काफी परेशान हुआ। जिसके बाद मालिक व गांव के ही ग्रामीणों ने दूध वाले जगह पर खुदाई की, जिसके बाद भगवान शंकर का शिवलिंग निकला। उसके बाद पुर्वर्जों ने इस मन्दिर को बाबा आन्देश्वर नाम दिया है।
ऐसे करे पूजा, होगी मनोकामना पूरी
सावन मास में भगवान शंकर की पूजा का विशेष महत्व है। जो व्यक्ति सावन में प्रतिदिन पूजा नहीं कर सकते है, उन्हें सोमवार के दिन शिव पूजा और व्रत रखना चाहिए। सावन में पार्थिव शिव पूजा का विशेष महत्व बतलाया गया है। श्रावण मास में जितने सोमवार पड़ते है, उन सब में यदि व्रत रखकर विधिवत पूजन किया तो मनोकामनायें पूर्ण हो सकती हैं। सावन के मास में सोमवार को इतना महत्पूर्ण क्यों बताया गया है, सोमवार का अंक 2 होता है जो चन्द्रमा का प्रतिनिधित्व करता है। चन्द्रमा मन का संकेतक है और वह भगवान शिव के मस्तक पर विराजमान है।