केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने कहा, एनजीआरबीए की रूपरेखा के अनुसार वर्ष 2020 के बाद गंगा नदी में बिना शोधित किया मलजल नहीं बहाया जाएगा। तदनुसार नमामि गंगा कार्यक्रम शुरू किया गया है जिसमें इस उद्देश्य को हासिल करने के लिए जरूरी कदम उठाये गये हंै।
उन्होंने एक अन्य सवाल के उत्तर में कहा कि नमामि गंगे कार्यक्रम को विदेशोंं से कोई अनुदान या सहायता नहीं मिली है और यह परियोजना पूरी तरह से केंद्र द्वारा वित्तपोषित है।
उन्होंने यद्यपि कहा कि इस महात्वाकांक्षी कार्यक्रम के लिए कई देशों ने तकनीकी सहायता की पेशकश की है।
उन्होंने कहा, वर्तमान में जर्मनी ने सूचना, ग्यान के आदान प्रदान, क्षमता निर्माण और डेटा प्रबंधन के लिए 30 लाख यूरो की प्रतिबद्धता जतायी है।
मंत्री ने एक अन्य सवाल के उत्तर में कहा कि एनजीआरबीए की रूपरेखा के अनुसार उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री उसके सदस्य हैं।